भारत में लोकतंत्र पर निबंध – Essay on Democracy in India in Hindi

भारत में लोकतंत्र पर निबंध 1 (200 शब्द)

लोकतंत्र सरकार की एक प्रणाली है जो नागरिकों को वोट देने और अपनी पसंद की सरकार का चुनाव करने की अनुमति देती है। भारत 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के बाद एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया था। आज यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है। भारतीय लोकतंत्र अपने नागरिकों को जाति, रंग, पंथ, धर्म और लिंग आदि पर ध्यान न देकर अपनी पसंद से वोट देने का अधिकार देता है। इसके पांच लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं – संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्र और लोकतांत्रिक गणराज्य।

विभिन्न राजनीतिक दल राज्य के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर समय-समय पर चुनाव के लिए खड़े होते हैं। चुनाव से पहले वे अपने पिछले कार्यकाल में पूरे किए गए कार्यों के बारे में प्रचार करते हैं तथा लोगों के साथ उनकी भविष्य की योजना भी साझा करते हैं। संविधान के मुताबिक 18 वर्ष से अधिक आयु के हर भारतीय नागरिक को वोट देने का अधिकार है। सरकार भी मतदान के लिए अधिक से अधिक लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। लोगों को वोट देने से पहले चुनाव के लिए खड़े उम्मीदवारों के बारे में सब कुछ जानना चाहिए और अच्छे प्रशासन के लिए सबसे योग्य व्यक्ति को वोट देना चाहिए।

भारत एक सफल लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए जाना जाता है। हालांकि अभी भी कुछ कमियां हैं जिन पर काम करने की आवश्यकता है। सरकार को सही मायने में लोकतंत्र को सुनिश्चित करने के लिए गरीबी, निरक्षरता, सांप्रदायिकता, लिंग भेदभाव और जातिवाद को समाप्त करने पर काम करना चाहिए।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध 2 (300 शब्द)

लोकतंत्र को सरकार का सबसे अच्छा रूप कहा जाता है। यह देश के प्रत्येक नागरिक को वोट देने और उनकी जाति, रंग, पंथ, धर्म या लिंग के बावजूद अपनी इच्छा से अपने नेताओं का चयन करने की अनुमति देता है। सरकार देश के आम लोगों द्वारा चुनी जाती है और यह कहना गलत नहीं होगा कि यह उनकी बुद्धि और जागरूकता है जिससे वे सरकार की सफलता या विफलता निर्धारित करतें हैं।

कई देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह संप्रभु, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, लोकतांत्रिक गणराज्य सहित पांच लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर चलता है। 1947 में अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र घोषित किया गया था। न केवल सबसे बड़ा अपितु भारतीय लोकतंत्र को सबसे सफल लोकतंत्रों में से एक माना जाता है।

भारतीय लोकतंत्र का एक संघीय रूप है जिसके अंतर्गत केंद्र में एक सरकार जो संसद के प्रति उत्तरदायी है तथा राज्य के लिए अलग-अलग सरकारें हैं जो उनके विधानसभाओं के लिए समान रूप से जवाबदेह हैं। भारत के कई राज्यों में नियमित अंतराल पर चुनाव आयोजित किए जाते हैं। इन चुनावों में कई पार्टियां केंद्र तथा राज्यों में जीतकर सरकार बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं। अक्सर लोगों को सबसे योग्य उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है लेकिन फिर भी जाति भारतीय राजनीति में भी एक बड़ा कारक है चुनावी प्रक्रियाओं को प्रभावित करने में।

चुनाव प्रचार के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अभियान चलाया जाता है ताकि लोगों के विकास के लिए उनके भविष्य के एजेंडे पर लाभ के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों पर जोर दिया जा सके।

भारत में लोकतंत्र का मतलब केवल वोट देने का अधिकार ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता को भी सुनिश्चित करने का है। हालांकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को विश्वव्यापी प्रशंसा प्राप्त हुई है पर अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनके लिए सुधार की आवश्यकता है ताकि लोकतंत्र को सही मायनों में परिभाषित किया जा सके। सरकार को लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए निरक्षरता, गरीबी, सांप्रदायिकता, जातिवाद के साथ-साथ लिंग भेदभाव को खत्म करने के लिए भी काम करना चाहिए।

See also  cube login - Cube Tracker | Find your Car, Dog, or Kids with Cube GPS

भारत में लोकतंत्र पर निबंध 3 (400 शब्द)

लोकतंत्र से तात्पर्य लोगों के द्वारा, लोगों को और लोगों के लिए चुनी सरकार से है। लोकतांत्रिक राष्ट्र में नागरिकों को वोट देने और उनकी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त होता है।

भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है। मुगलों, मौर्य, ब्रिटिश और अन्य कई शासकों द्वारा शताब्दियों तक शासित होने के बाद भारत आखिरकार 1947 में आजादी के बाद एक लोकतांत्रिक देश बन गया। इसके बाद देश के लोगों को, जो कई सालों तक विदेशी शक्तियों के हाथों शोषित हुए, अंत में वोटों के द्वारा अपने स्वयं के मंत्रियों को चुनने का अधिकार प्राप्त हुआ। भारत में लोकतंत्र केवल अपने नागरिकों को वोट देने का अधिकार प्रदान करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक समानता के प्रति भी काम कर रहा है।

  • भारत में लोकतंत्र पांच लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर काम करता है य़े हैं:
  • संप्रभु: इसका मतलब भारत किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त है।
  • समाजवादी: इसका मतलब है कि सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।
  • धर्मनिरपेक्षता: इसका अर्थ है किसी भी धर्म को अपनाने या सभी को अस्वीकार करने की आजादी।
  • लोकतांत्रिक: इसका मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा चुनी जाती है।
  • गणराज्य: इसका मतलब यह है कि देश का प्रमुख एक वंशानुगत राजा या रानी नहीं है।

भारत में लोकतंत्र कैसे कार्य करता है

18 वर्ष से अधिक आयु का हर भारतीय नागरिक भारत में वोट देने का अधिकार का उपयोग कर सकता है। मतदान का अधिकार प्रदान करने के लिए किसी व्यक्ति की जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है। भारत में कई पार्टियाँ है जिनके उम्मीदवार उनकी तरफ से चुनाव लड़ते हैं जिनमें प्रमुख है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई-एम), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) आदि। उम्मीदवारों को वोट देने से पहले जनता इन पार्टियों या उनके प्रतिनिधियों के आखिरी कार्यकाल में किये गये कार्यों का मूल्यांकन करती हैं।

सुधार के लिए क्षेत्र

भारतीय लोकतंत्र में सुधार की बहुत गुंजाइश है इसके सुधार के लिए ये कदम उठाए जाने चाहिए:

  • गरीबी उन्मूलन
  • साक्षरता को बढ़ावा देना
  • लोगों को वोट देने के लिए प्रोत्साहित करना
  • लोगों को सही उम्मीदवार चुनने के लिए शिक्षित करना
  • बुद्धिमान और शिक्षित लोगों को नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना
  • सांप्रदायिकता का उन्मूलन करना
  • निष्पक्ष और जिम्मेदार मीडिया सुनिश्चित करना
  • निर्वाचित सदस्यों के कामकाज की निगरानी करना
  • लोकसभा तथा विधानसभा में ज़िम्मेदार विपक्ष का निर्माण

निष्कर्ष

हालांकि भारत में लोकतंत्र को अपने कार्य के लिए दुनिया भर में सराहा गया है पर फिर भी इसमें सुधार के लिए अभी भी बहुत गुंजाइश है। देश में लोकतंत्र कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करने के लिए ऊपर बताए क़दमों को प्रयोग में लाया जा सकता है।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध 4 (500 शब्द)

लोकतांत्रिक राष्ट्र एक ऐसा राष्ट्र होता है जहां नागरिक अपने चुनाव करने के अधिकार को इस्तेमाल करके अपनी सरकार चुनते हैं। लोकतंत्र को कभी-कभी बहुमत के शासन के रूप में भी कहा जाता है। दुनिया भर के कई देश लोकतांत्रिक सरकार चलाते हैं लेकिन भारत को सबसे बड़ा लोकतंत्र बनने का गौरव हासिल है।

भारत में लोकतंत्र का इतिहास

भारत पर मुगल से मौर्यों तक कई शासकों ने शासन किया। उनमें से प्रत्येक के पास लोगों को शासित करने की अपनी अलग शैली थी। 1947 में अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया था। उस समय के भारत के लोग, जिन्होंने अंग्रेजों के हाथों काफी अत्याचारों का सामना किया था, पहली बार वोट करने का और अपनी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त किया।

See also  ntpc ess login - SAP NetWeaver Portal

भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत

संप्रभु

संप्रभु एक ऐसी इकाई को संदर्भित करता है जो किसी भी विदेशी शक्ति के नियंत्रण से मुक्त होता है। भारत के नागरिक अपने मंत्रियों का चुनाव करने के लिए सर्वभौमिक शक्ति का इस्तेमाल करते हैं।

समाजवादी

समाजवादी का मतलब है भारत के सभी नागरिकों को जाति, रंग, पंथ, लिंग और धर्म को नज़रंदाज़ करके सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।

धर्म निरपेक्षता

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि अपनी पसंद से किसी भी धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता। हमारे देश में कोई आधिकारिक धर्म नहीं है।

लोकतांत्रिक

लोकतांत्रिक का मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा चुनी जाती है। किसी भी भेदभाव के बिना सभी भारतीय नागरिकों को वोट देने का अधिकार दिया गया है ताकि वे अपनी पसंद की सरकार चुन सकें।

गणतंत्र

देश का प्रमुख एक वंशानुगत राजा या रानी नहीं है। वह लोकसभा और राज्यसभा द्वारा चुना जाता है जहाँ के प्रतिनिधि खुद जनता द्वारा चुने गयें हैं।

भारत में लोकतंत्र की कार्यवाही

18 वर्ष से अधिक आयु के भारत के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है। संविधान किसी से भी अपनी जाति, रंग, पंथ, लिंग, धर्म या शिक्षा के आधार पर भेदभाव नहीं करता है।

भारत में कई पार्टियाँ राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ती है जिनमें प्रमुख है – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई-एम), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)। इनके अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियां हैं जो राज्य विधायिकाओं के लिए चुनाव लड़ती हैं। चुनावों को समय-समय पर आयोजित किया जाता है और लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए मतदान करने के अपने अधिकार का उपयोग करते हैं। सरकार लगातार अच्छे प्रशासन को चुनने के लिए अधिक से अधिक लोगों को वोट देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

भारत में लोकतंत्र केवल लोगों को वोट देने का अधिकार देने के लिए नहीं बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में समानता सुनिश्चित करना है।

भारत में लोकतंत्र के कार्य में रुकावटें

हालांकि चुनाव सही समय पर हो रहें हैं और भारत में लोकतंत्र की अवधारणा का एक व्यवस्थित दृष्टिकोण से पालन किया जाता है लेकिन फ़िर भी देश में लोकतंत्र के सुचारु कामकाज में कई बाधाएं हैं। इसमें निरक्षरता, लिंग भेदभाव, गरीबी, सांस्कृतिक असमानता, राजनीतिक प्रभाव, जातिवाद और सांप्रदायिकता शामिल है। ये सभी कारक भारत में लोकतंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

निष्कर्ष

हालाँकि भारत में लोकतंत्र की सराहना की जा रही है पर अभी भी इसे मीलों का सफ़र तय करना है। भारत में लोकतंत्र के कामकाज पर असर डालने वाली अशिक्षा, गरीबी, लिंग भेदभाव और सांप्रदायिकता जैसी कारकों को समाप्त करने की आवश्यकता है ताकि नागरिक सही मायनों में लोकतंत्र का आनंद ले सकें।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध 5 (600 शब्द)

1947 में ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त होने के बाद भारत में लोकतंत्र का गठन किया गया था। इससे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का जन्म हुआ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभावी नेतृत्व के कारण ही भारत के लोगों को वोट देने और उनकी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त हुआ।

इस समय भारत में सात राष्ट्रीय पार्टियाँ हैं जो इस प्रकार हैं – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (एनसीपी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई- एम), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)। इन के अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियां राज्य विधानसभा चुनावों के लिए लड़ती हैं। भारत में संसद और राज्य विधानसभाओं का चुनाव हर 5 सालों में होता है।

See also  christ college irinjalakuda students login -

भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत

भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत इस प्रकार हैं:

संप्रभु

संप्रभु का मतलब है स्वतंत्र – किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त। देश को चलने वाली सरकार नागरिकों द्वारा एक निर्वाचित सरकार है। भारतीय नागरिकों की संसद, स्थानीय निकायों और राज्य विधानमंडल के लिए किए गए चुनावों द्वारा अपने नेताओं का चुनाव करने की शक्ति है।

समाजवादी

समाजवादी का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता। लोकतांत्रिक समाजवाद का अर्थ है विकासवादी, लोकतांत्रिक और अहिंसक साधनों के माध्यम से समाजवादी लक्ष्यों को प्राप्त करना। धन की एकाग्रता कम करने तथा आर्थिक असमानता को कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।

धर्म निरपेक्षता

इसका अर्थ है कि धर्म का चयन करने का अधिकार और स्वतंत्रता। भारत में किसी को भी किसी भी धर्म का अभ्यास करने या उन सभी को अस्वीकार करने का अधिकार है। भारत सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है और उनके पास कोई आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है। भारत का लोकतंत्र किसी भी धर्म को अपमान या बढ़ावा नहीं देता है।

लोकतांत्रिक

इसका मतलब है कि देश की सरकार अपने नागरिकों द्वारा लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित हुई है। देश के लोगों को सभी स्तरों (संघ, राज्य और स्थानीय) पर अपनी सरकार का चुनाव करने का अधिकार है। लोगों के वयस्क मताधिकार को ‘एक आदमी एक वोट’ के रूप में जाना जाता है। मतदान का अधिकार किसी भी भेदभाव के बिना रंग, जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर दिया जाता है। न सिर्फ राजनीतिक बल्कि भारत के लोग सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र का भी आनंद लेते हैं।

गणतंत्र

राज्य का मुखिया आनुवंशिकता राजा या रानी नहीं बल्कि एक निर्वाचित व्यक्ति है। राज्य के औपचारिक प्रमुख अर्थात् भारत के राष्ट्रपति, पांच साल की अवधि के लिए चुनावी कॉलेज (लोकसभा तथा राज्यसभा) द्वारा चुने जाते हैं जबकि कार्यकारी शक्तियां प्रधान मंत्री में निहित होती हैं।

भारतीय लोकतंत्र द्वारा सामना किए जाने वाले चुनौतियां

संविधान एक लोकतांत्रिक राज्य का वादा करता है और भारत के लोग सभी अधिकारों के हकदार हैं। कई कारक हैं जो भारतीय लोकतंत्र को प्रभावित करते हैं तथा इसके लिए एक चुनौती बन गए है। यहां इन कारकों पर एक नजर डाली गयी है:

निरक्षरता

लोगों की निरक्षरता सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है जो कि भारतीय लोकतंत्र की शुरूआत के बाद से हमेशा सामने आती रही है। शिक्षा लोगों को बुद्धिमानी से वोट देने के अपने अधिकार का उपयोग करने में सक्षम बनाती है।

गरीबी

गरीब और पिछड़े वर्गों के लोगों से आम तौर पर हमेशा ही राजनीतिक दलों द्वारा छेड़छाड़ की जाती है। राजनीतिक दल उनसे अक्सर अपना वोट प्राप्त करने के लिए रिश्वत देते हैं।

इनके अलावा, जातिवाद, लिंगभेद, सांप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरवाद, राजनीतिक हिंसा और भ्रष्टाचार अन्य कारकों में से हैं जो भारत में लोकतंत्र के लिए एक चुनौती है।

निष्कर्ष

भारत के लोकतंत्र को दुनिया भर से प्रशंसा मिली है। देश के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार उनके जाति, रंग, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर किसी भी भेदभाव के बिना दिया गया है। देश की विशाल सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई विविधता अपने लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। लोगों के बीच यह मतभेद गंभीर चिंता का कारण है। भारत में लोकतंत्र के सुचारु कार्य को सुनिश्चित करने के लिए इन विभाजनकारी प्रवृत्तियों को रोकने की आवश्यकता है।

Like the post?

Also read more related articles on BloggingHindi.com Sharing Is Caring.. ♥️

Sharing Is Caring...

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

×