BloggingHindi - Blogging Aur Internet Ki Sabhi Jankari

  • About Us
  • Contact Us
  • Blogging
  • WordPress
  • SEO

दिवाली निबंध – Essay on Diwali in Hindi (Class 1 to 10th)

Last Updated on April 11, 2022 by Md Arshad Noor Leave a Comment

दिवाली निबंध 1 (200 शब्द)

भारत एक ऐसा देश है जिसको त्योहारों की भूमि कहा जाता है। इन्हीं पर्वों मे से एक खास पर्व है दीपावली जो दशहरा के 20 दिन बाद अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है। इसे भगवान राम के 14 साल का वनवास काटकर अपने राज्य में लौटेने की खुशी में मनाया जाता है। अपनी खुशी जाहिर करने के लिये अयोध्यावासी इस दिन राज्य को रोशनी से नहला देते है साथ ही पटाखों की गूंज में सारा राज्य झूम उठता है।

दिवाली को रोशनी का उत्सव या लड़ीयों की रोशनी के रुप में भी जाना जाता है जोकि घर में लक्ष्मी के आने का संकेत है साथ ही बुराई पर अच्छाई की जीत के लिये मनाया जाता है। असुरों के राजा रावण को मारकर प्रभु श्रीराम ने धरती को बुराई से बचाया था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन अपने घर, दुकान, और कार्यालय आदि में साफ-सफाई रखने से उस स्थान पर लक्ष्मी का प्रवेश होता है। उस दिन घरों को दियों से सजाना और पटाखे फोड़ने का भी रिवाज है।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन नई चीजों को खरीदने से घर में लक्ष्मी माता आती है। इस दिन सभी लोग खास तौर से बच्चे उपहार, पटाखे, मिठाईयां और नये कपड़े बाजार से खरीदते है। शाम के समय, सभी अपने घर में लक्ष्मी अराधना करने के बाद घरों को रोशनी से सजाते है। पूजा संपन्न होने पर सभी एक दूसरे को प्रसाद और उपहार बाँटते है साथ ही ईश्वर से जीवन में खुशियों की कामना करते है। अंत में पटाखों और विभिन्न खेलों से सभी दिवाली की मस्ती में डूब जाते है।

दिवाली निबंध 2 (250 शब्द)

दिपावली एक महत्वपूर्णं और प्रसिद्ध उत्सव है जिसे हर साल देश और देश के बाहर विदेश में भी मनाया जाता है। इसे भगवान राम के चौदह साल के वनवास से अयोध्या वापसी के बाद और लंका के राक्षस राजा रावण को पराजित करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
भगवान राम की वापसी के बाद, भगवान राम के स्वागत के लिये सभी अयोध्या वासीयों ने पूरे उत्साह से अपने घरों और रास्तों को सजा दिया। ये एक पावन हिन्दू पर्व है जो बुराई पर सच्चाई की जीत के प्रतीक के रुप में है। इसे सिक्खों के छठवें गुरु श्रीहरगोविन्द जी के रिहाई की खुशी में भी मनाया जाता है, जब उनको ग्वालियर के जेल से जहाँगीर द्वारा छोड़ा गया।

बाजारों को दुल्हन की तरह शानदार तरीके से सजा दिया जाता है। इस दिन बाजारों में खासा भीड़ रहती है खासतौर से मिठाईयों की दुकानों पर, बच्चों के लिये ये दिन मानो नए कपड़े, खिलौने, पटाखें और उपहारों की सौगात लेकर आता है। दिवाली आने के कुछ दिन पहले ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई के साथ बिजली की लड़ियों से रोशन कर देते है।

देवी लक्ष्मी की पूजा के बाद आतिशबाजी का दौर शरु होता है। इसी दिन लोग बुरी आदतों को छोड़कर अच्छी आदतों को अपनाते है। भारत के कुछ जगहों पर दिवाली को नये साल की शुरुआत माना जाता है साथ ही व्यापारी लोग अपने नये बही खाता से शुरुआत करते है।

दिवाली सभी के लिये एक खास उत्सव है क्योंकि ये लोगों के लिये खुशी और आशीर्वाद लेकर आता है। इससे बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ ही नये सत्र की शुरुआत भी होती है।

दिवाली निबंध 3 (300 शब्द)

हिन्दू धर्म के लिये दिपावली एक महत्वपूर्णं त्योहार है। इसमें कई सारे संस्कार, परंपराएं और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं। इसे सिर्फ देश में ही नहीं वरन् विदेशों में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव से जुड़ी कई सारी पौराणिक कथाएँ है। इस कहानी के पीछे भगवान राम की राक्षस रावण पर जीत के साथ ही बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रुप में भी देखा जाता है।

लोग इस पर्व को अपने परिजनों और खास मत्रों के साथ मनाते है। इसमें वो एक-दूसरे को उपहार, मिठाईयाँ और दिपावली की बधाई देकर मनाते है। इस खुशी के मौके सभी भगवान की अराधना कर, खेलों के द्वारा, और पटाखों के साथ मनाते हैं। सभी अपनी क्षमता के अनुसार अपने प्रियजनों के लिये नये कपड़े खरीदते है। बच्चे खास तौर से इस मौके पर चमकते-धमकते कपड़े पहनते है।

देवी लक्ष्मी के आगमन के लिये और जीवन के हर अंधेरों को दूर करने के लिये लोग अपने घरों और रास्तों को रोशनी से जगमगा देते है। इस दौरान सभी मजेदार खेलों का हिस्सा बनकर, स्वादिष्ठ व्यंजनों का लुफ्त उठा कर और दूसरी कई क्रियाओं में व्यसत रहकर इस पर्व को मनाते है। सरकारी कार्यालयों को भी सजाया और साफ किया जाता है। मोमबत्ती और दियों के रोशनी के बीच साफ-सफाई की वजह से हर जगह जादुई और सम्मोहक लगती है।

सूर्यास्त के बाद धन की देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी के घर में पधारने के लिये घरों की साफ-सफाई, दियों से रोशनी और सजावट बहुत जरुरी है। इसे पूरे भारतवर्ष में एकता के प्रतीक के रुप देखा जाता है।

दिवाली निबंध 4 (350 शब्द)

हिन्दूओं के लिये दिवाली एक सालाना समारोह है जो अक्टूबर और नवंबर के दौरान आता है। इस उत्सव के पीछ कई सारे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं है। इस पर्व को मनाने के पीछे एक खास पहलू ये है कि, असुर राजा रावण को हराने के बाद भगवान राम 14 साल का वनवास काट कर अयोध्या पहुँचे थे। ये वर्षा ऋतु के जाने के बाद शीत ऋतु के आगमन का इशारा करता है। ये व्यापारियों के लिये भी नई शुरुआत की ओर भी इंगित करता है।

दिवाली के अवसर पर लोग अपने प्रियजनों को शुभकामना संदेश के साथ उपहार वितरित करते है जैसे मिठाई, मेवा, केक इत्यादि। अपने सुनहरे भविष्य और समृद्धि के लिए लोग लक्ष्मी देवी की पूजा करते है|

बुराई को भगाने के लिये हर तरफ चिरागों की रोशनी की जाती है और देवी-देवताओं का स्वागत किया जाता है। दिपावली पर्व आने के एक महीने पहले से ही लोग वस्तुओं की खरीदारी, घर की साफ-सफाई आदि में व्यस्त हो जाते है। दीयों की रोशनी से हर तरफ चमकदार और चकित कर देने वाली सुंदरता बिखरी रहती है।

इसको मनाने के लिये बच्चे बेहद व्यग्र रहते है और इससे जुड़ी हर गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते है। स्कूल में अध्यापकों द्वारा बच्चो को कहानीयाँ सुनाकर, रंगोली बनवाकर, और खेल खिलाकर इस पर्व को मनाया जाता है। दिवाली के दो हफ्ते पहले ही बच्चों द्वारा स्कूलों में कई सारे क्रियाकलाप शुरु हो जाते है। स्कूलों में शिक्षक विद्यार्थीयों को पटाखों और आतिशबाजी को लेकर सावधानी बरतने की सलाह देते है, साथ ही पूजा की विधि और दिपावली से संबंधित रिवाज आदि भी बताते है।

दिपावली 5 दिनों का एक लंबा उत्सव है जिसको लोग पूरे आनंद और उत्साह के साथ मनाते है। दिपावली के पहले दिन को धनतेरस, दूसरे को छोटी दिवाली, तीसरे को दिपावली या लक्ष्मी पूजा, चौथे को गोवर्धन पूजा, तथा पाँचवे को भैया दूज कहते है। दिपावली के इन पाँचों दिनों की अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ है।

दिवाली निबंध 5 (400 शब्द)

दिवाली को रोशनी का त्योहार के रुप में जाना जाता है जो भरोसा और उन्नति लेकर आता है। हिन्दू, सिक्ख और जैन धर्म के लोगों के लिये इसके कई सारे प्रभाव और महत्ता है। ये पाँच दिनों का उत्सव है जो हर साल दशहरा के 21 दिनों बाद आता है। इसके पीछे कई सारी सांस्कृतिक आस्था है जो भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद अपने राज्य के आगमन पर मनाया जाता है। इस दिन अयोध्यावासीयों ने भगवान राम के आने पर आतिशबाजी और रोशनी से उनका स्वागत किया।

दिपावली के दौरान लोग अपने घर और कार्यस्थली की साफ-सफाई और रंगाई-पुताई करते है। आमजन की ऐसी मान्यता है कि हर तरफ रोशनी और खुले खिड़की दरवाजों से देवी लक्ष्मी उनके लिये ढ़ेर सारा आशीर्वाद, सुख, संपत्ति और यश लेकर आएंगी। इस त्योहार में लोग अपने घरों को सजाने के साथ रंगोली से अपने प्रियजनों का स्वागत करते है। नये कपड़ों, खुशबुदार पकवानों, मिठाईयों और पटाखों से पाँच दिन का ये उत्सव और चमकदार हो जाता है।

दिपावली के पहले दिन को धनतेरस या धनत्रेयोंदशीं कहते है जिसे माँ लक्ष्मी की पूजा के साथ मनाया जाता है। इसमें लोग देवी को खुश करने के लिये भक्ति गीत, आरती और मंत्र उच्चारण करते है। दूसरे दिन को नारक चतुर्दशी या छोटी दिपावली कहते है जिसमें भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है क्योंकि इसी दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। ऐसी धार्मिक धारणा है कि सुबह जल्दी तेल से स्नान कर देवी काली की पूजा करते है और उन्हें कुमकुम लगाते है।

तीसरा दिन मुख्य दिपावली का होता है जिसमें माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है, अपने मित्रों और परिवारजन में मिठाई और उपहार बाँटे जाते है साथ ही शाम को जमके आतिशबाजी की जाती है।

चौथा दिन गोवर्धन पूजा के लिये होता है जिसमें भगवान कृष्ण की अराधना की जाती है। लोग गायों के गोबर से अपनी दहलीज पर गोवर्धन बनाकर पूजा करते है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उँगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर अचानक आयी वर्षा से गोकुल के लोगों को बारिश के देवता इन्द्र से बचाया था। पाँचवें दिन को हमलोग यामा द्वीतिय या भैया दूज के नाम से जानते है। ये भाई-बहनों का त्योहार होता है।

दिवाली निबंध 6 (600 शब्द)

भारत एक ऐसा देश है जहाँ सबसे ज्यादा त्योहार मनाये जाते है, यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग अपने-अपने उत्सव और पर्व को अपने परंपरा और संस्कृति के अनुसार मनाते है। दिवाली हिन्दू धर्म के लिये सबसे महत्वपूर्णं, पारंपरिक, और सांस्कृतिक त्योहार है जिसको सभी अपने परिवार, मित्र और पड़ोसियों के साथ पूरे उत्साह से मनाते है। दिपावली को रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है।

ये बेहद खुशी का पर्व है जो हर साल अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है। हर साल आने वाली दिवाली के पीछे भी कई कहानीयाँ है जिसके बारे में हमें अपने बच्चों को जरुर बताना चाहिये। दिवाली मनाने का एक बड़ा कारण भगवान राम का अपने राज्य अयोध्या लौटना भी है, जब उन्होंने लंका के असुर राजा रावण को हराया था। इसके इतिहास को हर साल बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रुप में याद किया जाता है। अपनी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास काट कर लौटे अयोध्या के महान राजा राम का अयोध्या वासीयों ने जोरदार स्वागत किया था। अयोध्या वासीयों ने अपने राजा के प्रति अपार स्नेह और लगाव को दिल से किये स्वागत के द्वारा प्रकट किया। उन्होंने अपने घर और पूरे राज्य को रोशनी से जगमगा दिया साथ ही राजा राम के स्वागत के लिये आतिशबाजी भी बजाए।

अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिये लोगों ने लजीज पकवान बनाये, हर कोई एक दूसरे को बधाई दे रहा था, बच्चे भी खूब खुश थे और इधर-उधर घूमकर अपनी प्रसन्नता जाहिर कर रहे थे। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सूरज डूबने के बाद लोग इसी दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते है। जहाँ एक ओर लोग ईश्वर की पूजा कर सुख, समृद्धि और अच्छे भविष्य की कामना करते है वहीं दूसरी ओर पाँच दिनों के इस पर्व पर सभी अपने घर में स्वादिष्ट भोजन और मिठाईयां भी बनाते है। इस दिन लोग पाशा, पत्ता आदि कई प्रकार के खेल भी खेलना पसंद करते है। इसको मनाने वाले अचछे क्रियाकलापों में भाग लेते है और बुराई पर अच्छाई की जीत के लिये गलत आदतों का त्याग करते हैं। इनका मानना है कि ऐसा करने से उनके जीवन में ढ़ेर सारी खुशियाँ, समृद्धि, संपत्ति और प्रगति आयेगी। इस अवसर पर सभी अपने मित्र, परिवार और रिश्तेदारों को बधाई संदेश और उपहार देते है।

रोशनी का उत्सव ‘दीपावली’ असल में दो शब्दों से मिलकर बना है- दीप+आवली। जिसका वास्तविक अर्थ है , दीपों की पंक्ति। वैसे तो दीपावली मनाने के पीछे कई सारी पौराणिक कथाएं कही जाती है लेकिन जो मुख्य रुप से प्रचलित मान्यता है वो है असुर राजा रावण पर विजय और भगवान राम का चौदह साल का वनवास काटकर अपने राज्य अयोध्या लौटना। इस दिन को हम बुराई पर अच्छाई की जीत के लिये भी जानते है। चार दिनों के इस पर्व का हर दिन किसी खास परंपरा और मान्यता से जुड़ा हुआ है जिसमें पहला दिन धनतेरस का होता है इसमें हमलोग सोने-चाँदी के आभूषण या बर्तन खरीदते है, दूसरे दिन छोटी दिपावली होती है जिसमें हमलोग शरीर के सारे रोग और बुराई मिटाने के लिये सरसों का उपटन लगाते है, तीसरे दिन मुख्य दिपावली होती है इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है जिससे घर में सुख और संपत्ति का प्रवेश हो, चौथे दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार नए साल का शुभारम्भ होता है और अंत में पाँचवां दिन भाई-बहन का होता है अर्थात् इस दिन को भैया दूज कहते है।

You May Also Like

  • मेरे पिता मेरे हीरो पर निबंध – Essay on My Father My Hero in Hindi

  • लाल किला पर निबंध – Essay on Red Fort in Hindi

  • सादा जीवन उच्च विचार पर निबंध – Essay on Simple Living High Thinking in Hindi

  • आवश्यकता आविष्कार की जननी है पर निबंध – Essay on Necessity is the Mother of Invention in Hindi

About Md Arshad Noor

हेलो दोस्तों, मेरा नाम मोहम्मद अरशद नूर है. में इस ब्लॉग में रेगुलर नई नई आर्टिकल्स लिखता हूँ. यहाँ पर हम ज्यादातर Blogging, Make Money, SEO, WordPress आदि से सम्बंधित Article मिलेगी. आपको हमारी लेख पसंद आती है तो इसे सोशल मीडिया में शेयर करें। अगर आपको कोई सहायता चाहिए तो कमेंट कीजिए।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Please do not spam! otherwise your comment will be removed.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Useful Articles

Google Keyword Ranking Check karne ke liye 5 Best Website

Website Ko User Friendly Banane Ke Liye 5 Secrets

PHP Version Ko Upgrade Karke Site Speed Ko 20% Increase Kare

WordPress Toolbar/Adminbar Ko Hide Aur Customize Kaise Kare

Adsense Account Kaise Banaye [Step By Step]

Blogging Ke 10 Important Myths ke Bare Me Apko Pata Hona Chahiye

Hostlelo Review – A Great Solution for New Bloggers

QR Code Kya Hai? QR Code Kaise Banaye aur Scan Kaise Kare

Blog Me Live Cricket Score Widget Kaise Add Kare

7 Karn WordPress Me Jyada Plugin Use Nahi Karni Chahiye

Directory Browsing Kya Hota Hai-Isko Disable Karne Ke 2 Tarike

Twitter Account Ko Secure Kaise Rakhe

Blog ko Delete kaise kare aur Delete kiya hua blog wapas kaise laye

About Us

mdarshadnoorहेल्लो दोस्तों, मेरा नाम मोहम्मद अरशद नूर है. में अररिया, बिहार का रहने वाला हूँ. मुझे नयी चीजें सीखना-सिखाना बहुत पसंद है. में पिछले 5 सालों से ब्लॉगिंग के फील्ड में हूँ. इस ब्लॉग में आपको ब्लॉगिंग और इन्टरनेट से सम्बन्धित जानकारी मिलेगी.

SUBSCRIBE OUR NEWSLATTER

हमारे नवीनतम पोस्ट की सूचना एवं उपयोगी सामग्री प्राप्त करने के लिए हमसे जुड़ें

Posts for WP Users:

WordPress Database Prefix Change Kaise Kare – Security Ke Liye

WordPress Blog Ki Database Prefix Ko Manually Change Kaise Kare (Without Plugin)

New WordPress User Se Puchhe Gaye 10 Popular Question [FAQ]

Kisi Hosting Provider Se Hosting Kharidne Se Pahle 10 Sawal Puchhe

Kisi Bhi Blogger ya WordPress Blog Ka Theme/Template Kaise Check Kare

More Posts from this Category

DMCA.com Protection Status

Recommended For You

Kisi Blog Me Guest Post Karne Ke Liye 8 Important Rules

WordPress Me Multi Author Blogging Ko Enable Karke Guest Post Accept Kaise Kare – Guest Blogging

Blog me Text Selection Disable Karke Content Copy Hone Se Bachaye

Custom Domain Se Professional Email Address Kaise Banaye

Apke Youtube Channel Se Kisne Subscribe Kiya Hai? Kaise Pata Kare

JetPack By WordPress Plugin Ke Pros and Cons

Copyright © 2021 - All rights reserved. AboutContactSitemapDisclaimer